Monday 5 June 2017


Aek Pahal   

          Aap sabhi se aek gujarish hai ki kabhi bhi kisi thela ya riksha wale se mol-bhaw na kare. Aare do-char rupye bacha ke kon se aamir ban jaoge. Lekin us garib ki dua lagegi jo itani mehnat se apane parivar ka kharcha udane ki koshish kar rha hai. Jara shochiye hum kitane aram se bade-2 hotel, cinema ya moll me bina mol-bhaw ke rupeya de dete hai, jabki wo pahle se hi kaphi ameer hai. Apani shoch badliye...




Kewal gossip karne se hi kuch nahi badlega, Please pahle khud ko change karo. Kahi se to surwat ho tabhi hum uan garib logo ki sachhi halp kar sakte hai. Aaye aek choti si koshish karte hai aur aaj se hi man bana le ki aab hum ean logo se mol-bhaw nahi karege..
Thankyou.

Tuesday 24 January 2017

आइए चलें, भारत की सबसे खूबसूरत, दिलकश प्राकृतिक जगह की सैर पर

भारत के सबसे खूबसूरत प्राकृतिक स्वर्ग की सैर 

आज चलते हैं भारत के सबसे खूबसूरत प्रकृति के करीब। प्रकृति के ये प्यारे सी चीजें झील, झरना, समुद्र, हरियाली, खुबसूरत पहाड जहां ये सारे नजारें हो तो दिल करता उन्हीं नजारों में हम सब खों जाएं, शहर के इस चिल्ल पों से दूर । तो चलिए चलते हैं प्रकृति के करीब



1. नोहकालिकाई फॉल्स, चेरापूंजी (Noakhali Falls, Cherrapunji) :
नोहकलिकाई फॉल्स भारत के मेघालय में स्थित है। चेरापूंजी के नज़दीक यह एक आकर्षक झरना है। चेरापूंजी को सबसे ज्यादा बारिश के लिए जाना जाता है और इस झरने के जल का स्रोत यही बारिश है। यह झरना 335 मीटर ऊंचाई से गिरता है। यहां झरने के नीचे एक तालाब बना हुआ है, जिसमें गिरता हुआ पानी हरे रंग का दिखाई देता है।


2-मुन्नार के चाय बागान और पहाड़ियां, केरल (Munnar Tea Gardens, Kerala) :
यहां हर साल हज़ारों पर्यटक आते हैं। जिंदगी की भागदौड़ और प्रदूषण से दूर यह जगह लोगों को अपनी ओर खींचता है। 12000 हेक्टेयर में फैले चाय के खूबसूरत बागान यहां की खासियत है। दक्षिण भारत की अधिकतर जायकेदार चाय इन्हीं बागानों से आती हैं। चाय के उत्पादन के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए चाय संग्रहालय है जहां इससे संबधित सभी तस्वीरें और सूचनाएं मिलती हैं। इसके अतिरिक्त यहां वन्य जीवन को करीब से देखा जा सकता है।
3- स्टोक रंज, लद्दाख (Stok Range Ladakh) :
लद्दाख जम्मू और कश्मीर में स्थित है। यह उत्तर-पश्चिमी हिमालय के पर्वतीय क्रम में आता है,जहां का अधिकांश धरातल कृषि योग्य नहीं है। 11, 845 फुट की ऊंचाई पर, स्टोक रेंज में स्टोक कांगड़ी, पर्वतारोहियों के बीच एक लोकप्रिय पर्वत है। दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर, एवरेस्ट पर्वत की चढ़ाई करने से पहले, स्टोक रेंज पर चढ़ाई एक अभ्यास मानी जाती है।
4- नुब्रा वैली, लद्दाख (Nubra Valley Ladakh) :
नुब्रा वैली का मतलब ही है ‘फूलों की घाटी’। नुब्रा वैली जाने के लिए आपको इनर लाइन परमिट की आवश्यकता होगी, क्योंकि यहां तक आने के लिए खरदुंग ला पास को पार करना होगा जो दुनिया का सबसे ऊंचा पास है। हुन्डर और पनामिक नुब्रा वैली के दो मुख्य आकर्षण हैं।
हुन्डर को ‘आकाश में रेगिस्तान’ भी कहा जाता है। यही एक ऐसी जगह है जहां आप दो कूबड़ वाले ऊंट की सवारी कर पाएंगे। पनामिक में सल्फर स्प्रिंग और मठों के नज़ारे ले पाएंगे।
5- माथेरन (Matheran) :
माथेरन ब्रिटिश राज में गर्मियों में छुट्टियां बीताने का लोकप्रिय स्थान बन चुका था। यह मुंबई में पदस्थापित ब्रिटिश अधिकारियों की बड़ी पसंद था। इंडिया का यह सबसे छोटा हिल स्टेशन मुंबई से 90 कि.मी. की दूरी पर है। यहां से सूर्यास्त और सूर्योदय का नज़ारा देखने लायक है। यह समुद्र तल से 2625 फुट की ऊंचाई पर पश्चिमी घाट पर स्थित है।
6- नन्दा देवी (Nanda Devi) :
नन्दा देवी पर्वत भारत के उत्तराखण्ड राज्य में अंतर्गत गढ़वाल ज़िले में स्थित है। यह पर्वत हिमालय के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र का प्रसिद्ध पर्वतशिखर है। इसकी चमोली से दूरी 32 मील पूर्व है।
इस पर्वत शिखर में दो जुड़वां चोटियां हैं, जिनमें से नंदादेवी चोटी समुद्रतल से 25645 फुट ऊंची है। हिंदुओं का विश्वास है कि शंकर भगवान की पत्नी नंद इसी पर्वत पर निवास करती हैं।
7- मिज़ोरम (Mijoram) :
मिज़ोरम में प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा पड़ा है। यहां की पहाड़ियां घने सदाबहार वनों से ढकी हैं, जिनमें चंपक, आयरन वुड और गुर्जुन जैसे मूल्यवान इमारती लकड़ी के वृक्ष पाए जाते हैं। वास्तविक वनाच्छादित क्षेत्र 18,775 वर्ग कि.मी. है, जो भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 89 प्रतिशत है। इन जंगलों में हाथी, बाघ, भालू, हिरन और जंगली भैंसों समेत कई जंतुओं का पर्यावास है।
8- लोनार सरोवर, महाराष्ट्र (Lonar Lake, Maharashtra) :
लोनार झील महाराष्ट्र के बुलढ़ाणा ज़िले में स्थित एक खारे पानी की झील है। यह आकाशीय उल्का पिंड की टक्कर से निर्मित पहली झील है। इसका खारा पानी इस बात का प्रतीक है कि कभी यहां समुद्र था। इसके बनते वक्त क़रीब दस लाख टन के उल्का पिंड की टकराहट हुई। क़रीब 1.8 किलोमीटर व्यास की इस उल्कीय झील की गहराई लगभग पांच सौ मीटर है।आज भी वैज्ञानिकों में इस विषय पर गहन शोध जारी है कि लोनार में जो टक्कर हुई,वो उल्का पिंड और पृथ्वी के बीच हुई या फिर कोई ग्रह पृथ्वी से टकराया था। उस वक्त वो तीन हिस्सों में टूट चुका था और उसने लोनार के अलावा अन्य दो जगहों पर भी झील बना दी।
9- यूमथांग वैली, सिक्किम (Yumthang Valley, Sikkim) :
यूमथांग को सिक्किम का स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है। समुद्र तल से करीब 3564 मीटर्स की ऊंचाई पर स्थित यह इलाका, फूलों की घाटी के रूप में विश्व प्रसिद्ध है। यह घाटी उत्तर सिक्किम में है और हिमालय पर्वतों से घिरी हुई है।
यहां जानवर घास चरने भी आते हैं। उत्तर जिला सभी जिलों में सबसे खूबसूरत है। कंचनजंघा के पर्वत शिखर की गोद में लिपटा यह जिला काफी ऊंचाई पर स्थित है।
10- लेह (Leh) :
लेह जम्मू कश्मीर राज्य के लद्दाख जिले का प्रमुख नगर है। सिंधु नदी के किनारे और 11000 फीट की ऊंचाई पर बसा लेह पर्यटकों को जमीं पर स्वर्ग का आभास कराता है। सुंदरता से परिपूर्ण लेह में रूईनुमा बादल इतने नजदीक होते हैं कि लगता है जैसे हाथ बढाकर उनका स्पर्श किया जा सकता है। गगन चुंबी पर्वतों पर ट्रैकिंग का यहां अपना ही मज़ा है। लेह में पर्वत और नदियों के अलावा भी कई ऐतिहासिक इमारतें मौजूद हैं। यहां बड़ी संख्या में खूबसूरत बौद्ध मठ हैं जिनमें बहुत से बौद्ध भिक्षु रहते हैं।

Monday 2 January 2017

दुनिया का सबसे खुशहाल इंसान बनने का फॉमूला

आपको एक ऐसे इंसान से मिलवाने जा रहा है, जो दुनिया का इकलौता सबसे खुशहाल इंसान है। जो आखिरी बार 1991 में दुखी हुआ था। जिसकी खुशी से हैरान होकर अमेरिकन यूनिवर्सिटी ने खुशी का कारण जानने के लिए 12 साल तक रिसर्च किया हो.. वो भी दिमाग में 256 सेंसर लगाकर। और इन सबके बाद जिसे खुद यूनाईटेड नेशन (UN) ने धरती का सबसे खुशहाल इंसान माना हो। जिसने 45 साल में खुशी को अपनी आदत बना लिया हो।
मैथ्यू के मुताबिक, 'उनके हमेशा खुश रहने के पीछे का क्या राज है ये जानने के लिए अमेरिकन की नंबर 1 साइंटिफिक यूनिवर्सिटी विसकॉन्सिन के साइंटिस्ट से मेरे दिमाग पर 12 साल रिसर्च किया।'
- 'इस दौरान मेरे सिर पर 256 सेंसर लगाकर बुरी से बुरी परिस्थितियों में दिमाग के अंदर क्या चल रहा है.. कैसे काम कर रहा है.. इसकी पूरी रिपोर्ट तैयार की।'
- 'इस रिसर्च में मेरे अंदर एक गामा तरंग पाई गई। ये तरंग दुनिया में बहुत कम लोगों में डेवलप होती है। इसका काम हर कंडीशन में खुशी के लेवल को बढ़ाना होता है। इस तरंग को मैंने खुद डेवलप किया था।'


 सुबह उठते ही पीले रंग की किसी आकृति को 1 से 2 मिनट तक आंखें बड़ी करके लगातार देखें।

- फिर आंख को 30 सेकंड बंद करके दोबारा खोलें। अब आप रूटीन वर्क स्टार्ट सकते हैं। 
- संभव हो तो ऐसा सुबह के उगते सूरज की तरफ देखकर करें।
इससे कैसे खुशी मिलेगी:

- न्यूरो साइंस में पीला रंग खुशी और उम्मीद को रिफ्लेक्ट करता है। 
- ऐसे में सोकर उठते ही इंसान के दिमाग में मौजूद हैप्पीनेस का केमिकल एक्टिव हो जाएगा। अगले कुछ घंटे दिमाग खुश रहेगा।
- इसी साइंटिफिक कारण के चलते स्माइली के इमोजी का कलर पीला रखा गया है।
- बता दें, इंसान के दिमाग में हैप्पीनेस के 4 केमिकल होते हैं। इनका शॉर्ट फॉर्म DOSE है।



कब करें: सुबह उठने से सोने तक हर घंटे

तरीका:

- अपनी जगह पर खड़े होकर पहले हाथ ऊपर करें। 10 सेकंड के लिए बॉडी को स्ट्रेच करते हुए अपने किसी सोशल अचीवमेंट के बारे में
सोचे। नोट करें।
- मैथ्यू के सजेशन से गूगल ने इस एक्सरसाइज को अपने इम्प्लॉइज के मैनुअल में शामिल किया।
इससे कैसे खुशी मिलेगी:

- हाथ ऊपर पर बॉडी को स्ट्रेच करने से हमारी मांसपेशियां रिलेक्स मोड में चली जाती हैं।
- दिमाग इसे रीड करके फीलिंग कैमिकल्स को नॉर्मल कंडीशन में ले आता है।
- ऐसे में सोशल अचीवमेंट के बारे में सोचने पर खुशी-प्राइड केमिकल्स एक्टिव हो जाते हैं।






कब: जब भी खुश होना चाहें
तरीका:

- वर्किंग प्लेस या घर में अपने डियर वन की मुस्कुराती तस्वीर जरूर लगाएं।
- जब आप टेंशन फील करें या एनर्जी लेवल लो लगे तो इस तस्वीर को 1 मिनट तक लगातार देखें।
- ध्यान रहे इस दौरान दिमाग में और कुछ ना चले। सिर्फ तस्वीर पर फोकस हो।
- तस्वीर ना हो तो रोड़ पर चलती गाड़ियों या खिड़की के बाहर गार्डन की घांस को भी देख सकते हैं।
इससे कैसे खुशी मिलेगी:

- लगातार 1 मिनट तक देखने पर दिमाग फ्लैश बैक में चला जाता है।
- रिसर्च के मुताबिक, इससे दिमाग में उस डियर वन से जुड़ी पॉजिटिव याद रिकॉल होती है। 1 मिनट तक देखने से ये यादें स्ट्रेस
रिलीज करके खुशी केमिकल को ब्रेन में फैला देता है।
- बता दें, एक स्वस्थ इंसान के दिमाग में सबसे पहले एक्टिव होने वाला केमिकल हैप्पीनेस का ही होता है।




कब करें:डिप्रेशन फील होने या जब अनुमान के मुताबिक परिणाम न मिले

तरीका:



- जैसे नॉर्मल खाते हैं वैसे खाएं।
इससे कैसे खुशी मिलेगी:

- चॉकलेट और अखरोट में polyphenols केमिकल होता है।
- ये बॉडी में जाकर दिमाग के हैप्पीनेस पार्ट को एक्टिव करने का काम करते हैं। 
- डार्क चॉकलेट खाने पर इसका असर और बढ़ जाता है।









कब करें:हर घंटे या जब नर्वस फील करें
तरीका:
- हंसी ना भी आए तो मुंह खोलकर हंसे।
इससे कैसे खुशी मिलेगी:

- जब मुंह खोलते हैं तो दिमाग के आगे की तरफ वाली हैप्पीनेस नसें पर जोर पड़ता है।
- इससे इनमें खिंचाव आता है। और एक्चुअल साइज से ज्यादा फैल कर कैमिकल स्प्रेड करती हैं।
- जो कुछ देर के लिए हैप्पीनेस लेवल बढ़ाता है।