Monday 7 July 2014

खुलासा: विदेश से ज्यादा है देश में कालाधन


आम चुनाव के दौरान भले ही विदेश में कालाधन का मुद्दा गरमाया हो मगर देश में मौजूद कालेधन की हकीकत मोदी सरकार को अंदरखाने हिलाने के लिए काफी है।

कालेधन पर सरकार की 1000 पेज की सनसनीखेज रिपोर्ट के मुताबिक, देश की कुल अर्थव्यवस्था (जीडीपी) का करीब 71 फीसदी तक कालाधन है। इसके हिसाब से करीब 2000 अरब डॉलर की भारतीय अर्थव्यवस्था के समानांतर 1400 अरब डॉलर का कालेधन का कारोबार है।

इन आंकड़ों को अगर रुपये में देखें तो 120 लाख करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था के समानांतर 83 लाख करोड़ रुपये का कालेधन का कारोबार है।
लोकसभा चुनाव में भारत का करीब 400 से 500 अरब डॉलर का कालाधन विदेशों में होने को मुद्दा बनाने वाली भाजपा को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी की यह रिपोर्ट सियासी रूप से हिला सकती है।

देश में ही कालेधन का सरकारी स्तर पर ऐसा आकलन सामने आने के बाद सरकार और वित्तमंत्री अरुण जेटली के लिए अपने ही मंत्रालय के अधीन इस संस्था की रिपोर्ट की अनदेखी करना आसान नहीं होगा।

कई जानेमाने अर्थशास्त्रियों का कहना है कि विदेश में जमा कालेधन पर सख्ती तो ठीक है मगर कालेधन पर अंकुश लगाकर सूरत बदलने की कोशिश तभी कामयाब होगी जब देश की अर्थव्यवस्था के समानांतर चल रहे देसी कालेधन पर लगाम कसी जाए।

रियल स्टेट, सोना, हीरा और गहने कालेधन के बड़े स्रोत

 

 रिपोर्ट के मुताबिक, रियल एस्टेट के बाद सोना, हीरे और गहने कालेधन के बड़े स्रोत हैं। सोने में कालेधन का आकलन थोड़ा मुश्किल है क्योंकि यह अंदाजा लगाना कठिन है कि लोगों के घरों में जेवरात या ठोस रूप में कितना सोना है। हीरे के कारोबार और बाजार में भी करीब करीब यही स्थिति है। हवाला के जरिए भी सोने और हीरे का काला कारोबार होता है।

रिपोर्ट यह भी कहती है कि कई बार मुख्य धारा के बैंक भी हवाला के जरिए सोने के काले कारोबार का हिस्सा बन जाते हैं, जिसे रोकने का कोई तरीका नहीं है। शेयर बाजार में डब्बा कारोबार भी काली कमाई का बहुत बड़ा जरिया है।

सेबी और रिजर्व बैंक जैसे रेगुलेटरी अथॉरिटी के तमाम प्रयासों के बावजूद इस पर रोक मुमकिन नहीं हो पाई है। खनन क्षेत्र में भी सालाना करीब 10 फीसदी काला कारोबार होता है। कर्नाटक और गोवा में खनन क्षेत्र में सामने आए घोटालों से पता चला है कि लौह अयस्क बिना हिसाब किताब के सीधे निर्यात कर दिए जाते हैं।
इसके अलावा विदेशी व्यापार में आयात और निर्यात दोनों क्षेत्रों में कम और ज्यादा आंकड़े दिखाकर बड़े पैमाने में कालेधन में घपलेबाजी की जाती है। रिपोर्ट में इसे मिस इनवॉसिंग (बिल में घपलेबाजी) कहा गया है।

वर्ष 2000 से लेकर 2009 तक मिस इनव्यासिंग के तहत करीब 42 अरब डॉलर भारत से स्विट्जरलैंड कालेधन के रूप में भेजे गए। जबकि चीन में 11 अरब डॉलर और अमेरिका में 9 अरब डॉलर भारत से भेजे गए।

रिपोर्ट कहती है कि उदारवादी अर्थव्यवस्था के वैश्विक स्वरूप के कारण मिस इनव्यासिंग की गुंजाइश काफी बढ़ गई है। करीब 20 साल पहले जीडीपी का 15 फीसदी ही आयात और निर्यात का कारोबार था, जो अब बढ़कर जीडीपी का 50 फीसदी हो गया है।

विदेश में 70 लाख करोड़ रुपये का कालाधन होने का अनुमान

 2009 में मुख्य न्यायाधीश केजी बालकृष्णन की पीठ के� समक्ष याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल दीवान ने विदेशी बैंकों में 70 लाख करोड़ रुपये का कालाधन जमा होने का उल्लेख किया था। जबकि देश के विभिन्न राजनीतिक दलों और कुछ अन्य संगठनों का कहना है कि भारतीयों ने 59 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कालाधन स्विस बैंकों में जमा करा रखा है। हालांकि इस संदर्भ में कोई सही आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।

20 साल में कालेधन में तीन गुना हुआ इजाफा
अर्थशास्त्री शंकर आचार्या के आकलन के आधार पर रिपोर्ट का कहना है कि 80 के दशक के आखिरी दिनों और 90 के दशक के शुरुआत में कालाधन जीडीपी का 20 फीसदी तक था लेकिन उदारीकरण के बाद कालाधन जीडीपी का 71 फीसदी तक हो गया है। यानी पिछले करीब 20 साल में उदारीकरण और भौगोलिकीकरण के बाद कालेधन में तीन गुना इजाफा हुआ है। कालेधन में हुए इस वृद्धि को देखते हुए भाजपा सरकार को बाहर से ज्यादा घर के अंदर झांकना जरूरी है।
 दो वॉल्यूम में पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार, भौगोलिकीकरण के बाद रियल एस्टेट सेक्टर कालेधन का सबसे बड़ा स्रोत है। रियल एस्टेट सेक्टर में कालाधन कितना है इसका अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि दिल्ली में 78 प्रतिशत लेनदेन कालेधन के रूप में होता है, जबकि कोलकाता और बंगलूरू के रियल एस्टेट क्षेत्र में यह आंकड़ा 50-50 प्रतिशत है।

मनरेगा जैसी योजनाएं भी कालाधन का बड़ा जरिया

सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार और लीकेज भी कालाधन बढ़ाने का बड़ा जरिया बन गया है। रिपोर्ट में बिहार में मनरेगा में भ्रष्टाचार का उदाहरण देते हुए कहा गया है कि मनरेगा के बजट का करीब 35 से 40 प्रतिशत लीकेज है, जो जाहिर तौर कालेधन में तब्दील हो जाता है।

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